Wednesday, 22 January 2014

हिन्दी साहित्य लेखन की परम्परा

  Anonymous       Wednesday, 22 January 2014

हिन्दी साहित्य लेखन की परम्परा 
मध्यकाल में रचित वार्ता साहित्य -
(1) 84 वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ)
(2) दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ) भक्तमाल - नाभादास
- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन का वास्तविक सूत्रपात 19वीं शताब्दी से माना जाता है। 
(1) गार्सा द तासी:- 
- ग्रन्थ - इस्तवार द ला लितरेत्यूर ए दूस्तानी
- इस ग्रंथ का प्रकाषन दो भागों में हुआ
1. 183र्9 इ. 2. 1847 ई.
- इसे हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ माना जाता है। भाषा - फ्रेंच



(2) षिवसिंह सेंगर:- 
- रचना - षिवसिंह सरोज (500 कवियों का परिचय) (1883 में लिखा)
(3) सर जार्ज ग्रियसन:- 
- रचना - द माॅडर्न वनैक्यूलर लिटरेचर आॅफ हिन्दुस्तान (1888)
- इसका प्रकाषन एषियाटिक सोसाइटी आॅफ बगं ाल की पत्रिका के
विषेषांक के रूप में हुआ।
- किषोरी लाल गुप्त ने इसे सही अर्थों में हिन्दी साहित्य का प्रथम
इतिहास माना है।
- इस ग्रथ्ं ा मे ं पहली बार रचनाकारो ं को कालक्रम से वगीर्कृ त किया
गया।
- इन्होंने केवल हिन्दी के कवियों को अपने कालक्रम में स्थान दिया।
- हिन्दी साहित्य के इतिहास को ग्रियसन ने अपने ग्रंथ में भक्तिकाल
को प्रथमबार स्वर्णयुग काल की संज्ञा दी।
(4) मिश्र बंधु:- 
- मिश्र बंधु विनोद (पुस्तक)
- इस ग्रथ्ं ा की रचना 4 भागो ं मे ं हुई प्रथम 3 भाग - 191र्3 इ. में
प्रकाषित हुये तथा चाथ्ै ाा भाग - 1934 ईस्वी मे ं प्रकाषित हअु ा।
- इन्होंने पहली बार काल विभाजन का समुचित प्रयास किया।
(5) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल:- (100 कवियों का परिचय) 
- ‘‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’’ नामक ग्रंथ 1929 ई. मे हिन्दी शब्द
सागर की भूमिका के रूप में लिखा।
- इन्होनं े युगीन परिस्थितियो ं के सदं र्भ मे ं साहित्यिक पव्र ृतियों के
विकास की बात कही।
(6) डाॅ. रामकुमार वर्मा:- 
- ‘‘हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास (1938)
- इनका प्रमुख आधार आचार्य शुक्ल का इतिहास रहा
- इन्होंने भक्तिकाल तक ही विवेचन किया
- इन्होंने स्वयभूं को हिन्दी साहित्य का प्रथम कवि माना
(7) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी:- 
(1) हिन्दी साहित्य की भूमिका (194र्0 इ. )
(2) हिन्दी साहित्य उद्भव व विकास (195र्3 इ. )
(3) हिन्दी साहित्य का आदिकाल (195र्2 इ. )
(8) डाॅ. गणपति चन्द्रगुप्त:- 
- हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास - (1965)
काल विभाजन 
गार्सा द तासी एवं षिवसिंह सेंगर न े काल विभाजन का कोई
प्रयास नहीं किया।
ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक ‘‘द माॅर्डन वर्नेक्यूलर लिटरेचर आॅफ
हिन्दुस्तान’’ में रचनाकारों का काल क्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए 11
काल खण्डों में विभाजित किया
प्रथम काल - चारण काल (700-140र्0 इ. )
मिश्र बंधु
(1) आरम्भिक काल - 700-1400 ई.
(2) माध्यमिक काल - 1445-1680 वि.स.
(3) अलंकृत काल - 1680-1889 वि.स.
(4) परिवर्तन काल - 1890-1925 वि.स.
(6) वर्तमान - 1926 से वर्तमान तक
-
काल खण्डों के विभाजन में नामकरण एक जसै ी पद्धति पर नही ं
- हिन्दी साहित्य के इतिहास का प्रारम्भ 700 वि.स. से मानकर अपभ्रंष
साहित्य को स्थान दिया।
(1) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल -
(2) वीरगाथा काल - संवत् 1050-1375 वि.स.
(3) भक्तिकाल/पूर्व मध्यकाल - 1375-1700 वि.स.
(4) रीतिकाल/उŸारमध्यकाल - 1700-1900 वि.स.
(5) आधुनिक काल/गद्यकाल - 1900-1984 वि.स.
- शुक्ल जी ने प्रधान प्रवृति एंव प्रसिद्ध ग्रन्थों की प्रसिद्धी को आधार
मानकर काल विभाजन किया।
- इन्होंने हिन्दी साहित्य का इतिहास ‘‘विक्षेपवादी’’ प्रवृति पर लिखा
- इनके काल विभाजन में सर्वाधिक विवाद वीरगाथा काल पर हुआ
(2) डाॅ. रामकुमार वर्मा -
(1) संधिकाल - 750 वि.-1000 वि.
(2) चारणकाल - 1000 वि.-1375 वि.
(3) भक्तिकाल - 1375 वि.-1700 वि.
(4) रीतिकाल - 1700 वि.-1900 वि.
(5) आधुनिक काल - 1900 वि.-वर्तमान
(6) डा़ॅ. गणपतिचन्द्र गुप्त -
(
प्) प्रारम्भिक काल - 1184-135र्0 इ.
(प्प्) मध्यपूर्वकाल - 1350-150र्0 इ.
(प्प्प्) उŸारमध्य काल - 1500-185र्7 इ.़
(प्ट) आधुनिक काल - 1857-196र्5 इ.
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